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आसाराम बापू को बेशक अच्छा वक्ता कहा जा सकता है। भाषा के माध्यम से वह माहौल में सम्मोहन उत्पन्न कर देते हैं। इन्ही गुणों के कारण तो करोड़ों लोग उनके मायाजाल में फंस गये। उनके शिष्य बन गये। उसमें से पचास प्रतिशत तो अंध भक्त हो ही हो गये। लाखों अन्ध भक्तों द्वारा दान के रूप में दी गई राशि से अर्जित बापू की अकूत सम्पत्ति की जांच की जाए तो उनके पास लग्जरी गाडिय़ां और संगमरमर जडि़त आवास-आश्रम हैं। इस रूप में उनके द्वारा धर्मार्थ काम कम ही नजर आता है। उन्होंने कुशल वक्ता होने का पूरा लाभ उठाया। आसाराम अपने को स्वघोषित तरीके से राम, कृष्ण और बुद्ध जैसे महापुरुषों की श्रेणी में रखना चाहते हैं लेकिन वास्तव में अपने काली करतूतों से उन्होंने हिन्दू संस्कृति के उदार चरित्र को दागदार किया है। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो कल्पना कीजिए हम कहां सुरक्षित हैं। आसाराम अपने ही बनाए क्राइट एरिया को हठता पूर्वक पार कर गये। ऐसा नहीं कि बालिका यौन शोषण की पहली घटना है। यह घटना जब मीडिया के जरिए उजागर हुई तभी जनता संत के काली करतूतों को जान पाई। आसाराम की वय का कोई व्यक्ति यदि इस प्रकार की यौन विकृति का शिकार हो तो मान लेना चाहिए कि वह मानसिक रोगी है। इस मामले में किसी प्रकार की तुष्टिकरण की नीति को दरकिनार कर शीघ्रातिशीघ्र कार्रवाई होनी चाहिए।
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